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Kavita Kosh से
अगर है प्यार दिल में तो कभी सूरत भी दिखला दे
तेरे कूचे की मुझसे खाक़ ख़ाक अब छानी नहीं जाती
कभी तड़पा ही देगी प्यार की खुशबूख़ुशबू, गुलाब! उसको
कोई भी आह तेरे दिल की बेमानी नहीं जाती
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