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Kavita Kosh से
तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
मगर कुछ अपने भी प्यार के गम ग़म छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
कभी तो पहुँचेगी तेरे दिल तक हवा में उड़ती हुई ये तानें