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प्रिय तुम तो सावन के प्रभात
मैं बदली-सी मिलने आयी, साँसों में ले के लेकर मलय वात
जीवन हरीतिमा पिक-कुहरित
बन बुद्धि चेतना-सूत्र गयी
गूँथती विश्व शत मनोजात
 
प्रिय तुम तो सावन के प्रभात
मैं बदली-सी मिलने आयी, साँसों में ले के लेकर मलय वात
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