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यद्यपि कोटि-कोटि हृदयों तक उड़ जातीं बेपाँखें
एक सत्य की और ओर लगी थीं पर बापू की आँखें
जादू था न चतुरता कोई, नहीं छद्म या छल था
उन आँखों में जो भी बल था, सत्य-प्रेम का बल था
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