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तुमने जीवन दिया हमें, हम तुम्हें मृत्यु दे बैठे आप;
यह विडम्बना, हाय! न जाने किन जन्मों के पाप उगे
झेल प्रसव की पीड़ा दुस्सह! कौन करेगा व्रत-पालन
सुत के हित! पर नहीं देखता हूँ मैं रक्तसना भी मौन
रहा पुकार तुम्हें हे ईश्वरतुम्हारा, 'ईश्वर! क्षमा करो इनका बचपन
ज्ञात नहीं है इन्हें कि ये क्या पाप कर रहे हैं अनजान
इन्हें बुद्धि दो, सत्य दिखा दो, सम्मति दो इनको भगवान!'
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