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गरीबी / सुरेश यादव

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आग जिनके पेट गरीबीबाज़ार में होती मुंह बांध कर जाती हुई मिलती हैख़ाली जेब मिलती है मेले मेंगुब्बारे के साथफूलती और फूटती हैसमय के झूलों मेंगरीबी - पेंडुलम सी झूलती है !
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