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भारत-रत्न श्री पुरुषोत्तमदास टंडनके प्रति
जय हो, हे हिन्दी उद्धारक!
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चिंता मत करना, आँधी से पर्वत नहीं हिलेंगे
जहाँ बहा है खून तुम्हारा वहां ख़ून तुम्हारा वहाँ गुलाब खिलेंगे
इस फौलादी वक्ष:स्थल पर सब आघात झिलेंगे
निश्चय कभी सूर-तुलसी से ग़ालिब-मीर मिलेंगे
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