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मुख पर झीना अंचल खींचे
सकुच नयन-पंखुड़ियाँ पंखड़ियाँ मींचे
खड़ी आम्र के तरु के नीचे
हँसती हुई मिली
शाखा तनिक हिली
प्रथम मिलन-परिणय-मधु -पूरित
हुई विदा जब प्रात मंद-स्मित
अरुण कपोलों पर थी अंकित
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