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Kavita Kosh से
कोई ख़्वाबों में आकार बस लिया दो पल तो हंगामा
मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है , साजिश है
उसे बाहों में खुलकर कास कस लिया दो पल तो हंगामा
जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा