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Kavita Kosh से
'सैंकड़ों वर्ष फिरे भी न फिरेगा यह क्षण
दिन ढलें लाख, न यह रात पुन:आयेगी
रत्न-सा छूट छुट न कभी हाथ लगेगा यौवनरूप की लौट न बरात बारात पुन: आयेगी
"ज्ञान की बाँध बड़ी पोट गले गुरुओं के