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Kavita Kosh से
कूप में डाल उन्हें, और उठा ले प्याला
आज की रात तुझे अंक लगाकर अपने
वे मधु मधुर खेल दिखाऊँ कि बने मतवाला
"दीप जो आज जले, प्रात सभी को बुझना