भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गु…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
कौन-सी पहचान होगी?
जब तुम्हारी दृष्टि भी मेरे लिए अनजान होगी?
आज जो मुस्कान बंकिम मृदु अधर पर खिल रही है
चितवनों में प्यार की अनुभूति मादक मिल रही है
आज जो हर साँस में दीपक-शिखा झिलमिल रही है
कल अगम किस शून्य में वह ज्योति अंतर्धान होगी
कौन जाने, लौटकर कल हम यहाँ आयें न आयें!
कौन जाने, कल हमारा नाम भी सब भूल जाएँ!
मिट सकेंगी पर हमारे प्राण की ये सर्जनाएं!
दीप्ति जिनकी काल के भी गाल में अम्लान होगी
कौन-सी पहचान होगी?
जब तुम्हारी दृष्टि भी मेरे लिए अनजान होगी?
<poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
कौन-सी पहचान होगी?
जब तुम्हारी दृष्टि भी मेरे लिए अनजान होगी?
आज जो मुस्कान बंकिम मृदु अधर पर खिल रही है
चितवनों में प्यार की अनुभूति मादक मिल रही है
आज जो हर साँस में दीपक-शिखा झिलमिल रही है
कल अगम किस शून्य में वह ज्योति अंतर्धान होगी
कौन जाने, लौटकर कल हम यहाँ आयें न आयें!
कौन जाने, कल हमारा नाम भी सब भूल जाएँ!
मिट सकेंगी पर हमारे प्राण की ये सर्जनाएं!
दीप्ति जिनकी काल के भी गाल में अम्लान होगी
कौन-सी पहचान होगी?
जब तुम्हारी दृष्टि भी मेरे लिए अनजान होगी?
<poem>