भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सीता-वनवास / गुलाब खंडेल…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सीता-वनवास / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>

गाते रामायण मृदु स्वर में
जब प्रभु ने यह सुना पधारे दो मुनि शिष्य नगर में

मन में गयी अजान पुलक भर
कहा "उन्हें ले आओ सादर
सुने अयोध्या के नारी नर
कथा राजपरिसर में "

पर, क्षण में ही पड़ी दिखाई
सीता की मुख छवि मुरझाई
अंतिम विदा याद हो आई
हूक उठी अंतर में

कहा जिसे न कभी जग सम्मुख
छिप न सका मारुति से वह दुःख
बोले "लंका जय का क्या सुख
माँ जब रही न घर में "

गाते रामायण मृदु स्वर में
जब प्रभु ने यह सुना पधारे दो मुनि शिष्य नगर में
<poem>
2,913
edits