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धरती- गगन एक कर देता
कभी आपको, कंस-विजेता
कुछ भी कठिन नहीं था
 
'अश्व आपके रथ के पल में
जाते उड़ तारा-मंडल में
वृन्दावन तो बस करतल में
पलकों तले यहीं था
'नहीं वृन्दावन दूर कहीं था
क्यों न चले आये मनमोहन! यदि मन सदा वहीं था!'
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