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|रचनाकार=आदिल रशीद
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ग़ालिब की ज़मीन में आदिल रशीद की एक ग़ज़ल
मुझ में पैदा जो होसला न हुआ
बेसबब वो भी बेवफा न हुआ
लबकुशाई से यूँ भी डरता हूँ
वो मुखातिब हुआ ,हुआ न हुआ
इक नज़र उस ने जब भी देखा है
कोई उस वक्त आशना न हुआ
कोई वादा मैं यूँ नहीं करता
कोई वादा अगर वफ़ा न हुआ
उम्र भर जिसपे नाज़ हम करते
उम्र भर ऐसा फैसला न हुआ
उसने सब कुछ कहा था गुस्से में
यूँ भी उस से मुझे गिला न हुआ
</poem>
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