भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आसमानों से परे यूँ तो है वुसअत उसकी
तुम बुलाओगे तो कूजे <ref>कुल्हड</ref>में सिमट जाएगा
</poem>
{{KKMeaning}}
38
edits