भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिता! / अवनीश सिंह चौहान

975 bytes added, 21:29, 11 अगस्त 2011
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Poem> नदिया में म…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
<Poem>
नदिया में मुझको नहलाया
झूले में मुझको झुलवाया
पीड़ा में मुझको सहलाए
पिता हमाए

तरह-तरह की चीजें लाते
सबसे पहले मुझे खिलाते
कभी-कभी खुद भी ना खाए
पिता हमाए

मैं रोया तो मुझे चुपाते
दुनियाँ की बातें समझाते
औ' जीने की कला सिखाए
पिता हमाए

जब से मैं भी पिता बना हूँ
पापा-सा वह शब्द सुना हूँ
पिता-बोध स्मृतियों में आए
पिता कहाए
</poem>
273
edits