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मत ठहरो / श्रीकृष्ण सरल
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03:46, 12 अगस्त 2011
जो कुछ करना है, उठो! करो! जुट जाओ!
जीवन का कोई क्षण, मत व्यर्थ गँवाओ
कर लिया काम, भज लिया राम, यह सच
र्है
अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है
मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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