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Kavita Kosh से
धर्म का प्रचार करते हैं पेड़
फूलों में रंग और खुशबू भर कर
गूंगे तो होती होते नहीं हैं पेड़
बोलते हैं, बतियाते हैं
बसंत हो या पततझर