भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी|<br /> देख कर यूं दिलरुबा को मु…
हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी|<br />
देख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी|१|<br />
<br />
क्षृंगार रस:-
कनखियों से देखना - पानी में पत्थर फेंकना|<br />
काश फिर से वो ही मंज़र दोहराये ज़िंदगी|२|<br />
<br />
हास्य रस:-
इश्क़ हो जाये रफू चक्कर झपकते ही पलक|<br />
जब छरहरे जिस्म को गुम्बद बनाये ज़िंदगी|३|<br />
<br />
करुण रस:-
दिन को मजदूरी, पढ़ाई रात में करते हैं जो|<br />
देख कर उन लाड़लों को, बिलबिलाये ज़िंदगी|४|<br />
<br />
रौद्र रस:-
भावनाओं के बहाने, दिल से जब खेले कोई|<br />
देख कर ये खेल झूठा, तमतमाये ज़िंदगी |५|<br />
<br />
वीर रस:-
जब हमारे हक़ हमें ता उम्र मिल पाते नहीं |<br />
दिल ये कहता है, न क्यूँ खंज़र उठाये ज़िन्दगी |६|<br />
<br />
भयानक रस:-
जिस जगह पर, चीख औरत की, खुशी का हो सबब|<br />
बेटियों को उस जगह ले के न जाये ज़िंदगी |७|<br />
<br />
वीभत्स रस:-
आदमी को आदमी खाते जहाँ पर भून कर |<br />
उस जगह जाते हुए भी ख़ौफ़ खाये ज़िंदगी |८|<br />
<br />
अद्भुत रस:-
एक बकरी दर्जनों शेरों को देती है हुकुम|<br />
देखिए सरकार क्या क्या गुल खिलाये ज़िंदगी|९|<br />
<br />
शांत रस:-
बस्तियों की हस्तियों की मस्तियों को देख कर|<br />
दिल कहे अब शांत हो कर गीत गाये ज़िंदगी|१०|<br />
देख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी|१|<br />
<br />
क्षृंगार रस:-
कनखियों से देखना - पानी में पत्थर फेंकना|<br />
काश फिर से वो ही मंज़र दोहराये ज़िंदगी|२|<br />
<br />
हास्य रस:-
इश्क़ हो जाये रफू चक्कर झपकते ही पलक|<br />
जब छरहरे जिस्म को गुम्बद बनाये ज़िंदगी|३|<br />
<br />
करुण रस:-
दिन को मजदूरी, पढ़ाई रात में करते हैं जो|<br />
देख कर उन लाड़लों को, बिलबिलाये ज़िंदगी|४|<br />
<br />
रौद्र रस:-
भावनाओं के बहाने, दिल से जब खेले कोई|<br />
देख कर ये खेल झूठा, तमतमाये ज़िंदगी |५|<br />
<br />
वीर रस:-
जब हमारे हक़ हमें ता उम्र मिल पाते नहीं |<br />
दिल ये कहता है, न क्यूँ खंज़र उठाये ज़िन्दगी |६|<br />
<br />
भयानक रस:-
जिस जगह पर, चीख औरत की, खुशी का हो सबब|<br />
बेटियों को उस जगह ले के न जाये ज़िंदगी |७|<br />
<br />
वीभत्स रस:-
आदमी को आदमी खाते जहाँ पर भून कर |<br />
उस जगह जाते हुए भी ख़ौफ़ खाये ज़िंदगी |८|<br />
<br />
अद्भुत रस:-
एक बकरी दर्जनों शेरों को देती है हुकुम|<br />
देखिए सरकार क्या क्या गुल खिलाये ज़िंदगी|९|<br />
<br />
शांत रस:-
बस्तियों की हस्तियों की मस्तियों को देख कर|<br />
दिल कहे अब शांत हो कर गीत गाये ज़िंदगी|१०|<br />