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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी}}{{KKCatGhazal}}<poem>निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो|<br />मगर, यूँ लगता है अब तो, मेरा क़ुसूर था वो|१|<br /><br />चली हवा तो पतंगे सा उड़ गया पल में|<br />बताया लोगों ने मुझको, मेरा ग़ुरूर था वो|२|<br /><br />वो जो हसीन परी का ख़याल था दिल में|<br />सही कहूं, तो ख़यालात का फ़ितूर था वो|३|<br /><br />फ़क़ीर दिल ने इरादा बदल दिया, वरना|<br />वो चाँद बाँहों में ही था, न मुझसे दूर था वो|४|<br /poem>