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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी}}{{KKCatGhazal}}<poem>हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी|<br />देख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी|१|<br /><br />क्षृंगार रस:-कनखियों से देखना - पानी में पत्थर फेंकना|<br />काश फिर से वो ही मंज़र दोहराये ज़िंदगी|२|<br /><br />हास्य रस:-इश्क़ हो जाये रफू चक्कर झपकते ही पलक|<br />जब छरहरे जिस्म को गुम्बद बनाये ज़िंदगी|३|<br /><br />करुण रस:-दिन को मजदूरी, पढ़ाई रात में करते हैं जो|<br />देख कर उन लाड़लों को, बिलबिलाये ज़िंदगी|४|<br /><br />रौद्र रस:-भावनाओं के बहाने, दिल से जब खेले कोई|<br />देख कर ये खेल झूठा, तमतमाये ज़िंदगी |५|<br /><br />वीर रस:-जब हमारे हक़ हमें ता उम्र मिल पाते नहीं |<br />दिल ये कहता है, न क्यूँ खंज़र उठाये ज़िन्दगी |६|<br /><br />भयानक रस:-जिस जगह पर, चीख औरत की, खुशी का हो सबब|<br />बेटियों को उस जगह ले के न जाये ज़िंदगी |७|<br /><br />वीभत्स रस:-आदमी को आदमी खाते जहाँ पर भून कर |<br />उस जगह जाते हुए भी ख़ौफ़ खाये ज़िंदगी |८|<br /><br />अद्भुत रस:-एक बकरी दर्जनों शेरों को देती है हुकुम|<br />देखिए सरकार क्या क्या गुल खिलाये ज़िंदगी|९|<br /><br />शांत रस:-बस्तियों की हस्तियों की मस्तियों को देख कर|<br />दिल कहे अब शांत हो कर गीत गाये ज़िंदगी|१०|<br /poem>