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कैटवाक / अवनीश सिंह चौहान
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09:06, 5 सितम्बर 2011
पढ़ी-पढ़ाई चिड़िया रानी
उघरी हुई देह से जादू
पलछिन
पल-छिन
करती चिड़िया रानी
पॉप धुनों पर गाती रहती
जब चाहे तब सींचा करती
अपने मन का
बाग
बाग़
कितने उलझे दृश्य-कथा में
अनिल जनविजय
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