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Kavita Kosh से
लोग कहते हैं तो फिर ठीक ही कहते होँगे
मेरे एहबाब अहबाब ने तहज़ीब न सीखी होगी
मेरे महौल माहौल में इन्सान न रहते होँगे
लोग कहते हैं - मगर आप अभी तक चुप हैं
आप भी कहिये कहिए ग़रीबो में शराफ़त कैसी
नेक मादाम! बहुत जल्द वो दौर आयेगा
जब हमें ज़िस्त के अदवार परखने होंगे
मेरे एहबाब ने तहज़ीब न सीखी होगी
मेरे महौल माहौल में इन्सान न रहते होँगे वजह बेरंगी-ए-गुलज़ार कहूँ या न कहूँ कौन है कितना गुनहगार कहूँ या न कहूँ जिला=प्रकाश; लताफ़त=रुसवाई; तज़लील= अनादर करना; ज़िया=प्रकाश; तल्ख़=कड़वी; मुबाहिस=विवाद
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