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सदस्य:Sandwivedi

1 byte removed, 18:11, 1 सितम्बर 2007
गिरफ़्ता दिल हैं मगर हौसले भी अब के गये //<br>
तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो "फ़राज़" <br>
इन आँधियों मे तो प्यारे चिराग सब के गये//<br>
--- --- प्रेषक - संजीव द्विवेदी ------<br>
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