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लडकियाँ / घनश्याम कुमार 'देवांश'

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|रचनाकार=घनश्याम कुमार 'देवांश'
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कुछ चीजें कभी समझ नहीं आतीं
जैसे कि
लड़कियों को सिर्फ वही लड़के
क्यों बहुत भाते हैं
जो उनसे
बहुत दूर चले जाते हैं

जैसे कि
लडकियां अकेले में ही
इतना सुरीला क्यों गातीं हैं
और क्यों नाचती हैं
भरी दुपहरियों में
बंद कमरे में जादूभरा नाच

जैसे कि
लडकियां काजल और
चश्मों के पीछे
अपनी आँखों का जादू
क्यों छिपाए फिरती हैं
और अपने मनपसंद लड़के को
न देखने की तरह ही
क्यों देखती हैं...</poem>
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