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|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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कर्तव्यों की नौका बातों से खेता है
मामा के आगे ममियारे की देता है
मामा के आगे ममियारे की देता है
कर्तव्यों की नौका ..............................
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