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मजा मज़ा आ रहा है ग़ज़ल में तेरी
लगे जैसे मुख में हो मीठी डली
हवा आंधी बन-बन के कैसे चली
उडा उड़ा ले गई मिट्टी धूलों भरी
लटों को जो तूने यूं झटका दिया