भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा }} {{KKCatKavita}} <Poem> कैसे कर पाओगे…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
कैसे कर पाओगे प्यार?
किसी और से तुम
कभी ख़ुद से प्यार किया है?
कभी ख़ुद को छूआ है तुमने?
वीरानी-सी बसर करे जब कमरे में
क़रीब कोई भी न हो तुम्हारे सिवा
आईना के सामने खड़े हो कर
अपने आपको छूकर देखो
महसूस करो
कहो कि प्यार करता हूँ
कहो कि प्यार हूँ मैं
अगर कर न सके इतना भी
कैसे कर पाओगे प्यार?
किसी और से तुम
कभी ख़ुद से प्यार किया है?
कभी ख़ुद को छूआ है तुमने?
<Poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
कैसे कर पाओगे प्यार?
किसी और से तुम
कभी ख़ुद से प्यार किया है?
कभी ख़ुद को छूआ है तुमने?
वीरानी-सी बसर करे जब कमरे में
क़रीब कोई भी न हो तुम्हारे सिवा
आईना के सामने खड़े हो कर
अपने आपको छूकर देखो
महसूस करो
कहो कि प्यार करता हूँ
कहो कि प्यार हूँ मैं
अगर कर न सके इतना भी
कैसे कर पाओगे प्यार?
किसी और से तुम
कभी ख़ुद से प्यार किया है?
कभी ख़ुद को छूआ है तुमने?
<Poem>