भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: '''नाम''' उसका नाम है , वह नहीं है | '''झूठे''' * पता नहीं कैसे लोगों को प्य…
'''नाम'''
उसका नाम है ,
वह नहीं है |
'''झूठे'''
* पता नहीं कैसे
लोगों को प्यार हो जाता है
झूठे कहीं के !
'''जहरीला'''
मेरे काटने से
सांप भले मर जाये ,
आदमी को कोई
खतरा नहीं है |
'''अपना काम'''
साधु अपना काम करता है
मैं अपना काम करता हूँ,
वह मुझे बार-बार धार से
बाहर निकालता है
मैं उसे बार-बार
डंक मारता हूँ
साधु अपना काम करता है ।
'''गृहस्थी'''
गृहस्थी
सुरसा का मुँह
जितना भी
डालते जाओ ।
'''कर्तव्य'''
निराश होना भी एक कर्तव्य है
अन्य कर्तव्यों की भाँति
बड़े सपने पालने संकल्प गढ़ने,
दृढ़ता से मार्ग निकालकर
बढ़ चलना होता है
निराश होने के लिए,
आदर्शों का पहाड़ चढ़ने का
ऊर्जा उत्साह जोड़ना होता है,
कोई उठाना होता है
समय का इन्द्रधनुष
असमय का बीड़ा
आत्मविश्वास के नाथ
सुनना होता है
काल का आह्वान
सँजोना होता है
कोई युगीन आग्रह ।
बहुत कुछ कठिन और
असाध्य करना होता है
तब कहीं जाकर
वह हाथ लगती है ,
वह पराक्रमहीन मनुष्यों के
पास नहीं फटकती,
बड़ी आशाएँ पालनी होती हैं
निराशा पाने के लिए।
बड़ी अभिमानिनी
प्रेमिका है निराशा
बड़ी ऐड़ियाँ घिसाती
बहुत नाक रगड़ाती है
घर में आने के पहले
दुल्हन बनकर,
निराशा यूँ ही हर किसी को
सुलभ नहीं हो जाती,
लेकिन ये सारे तो काम
कठिन या आसान
जरूरी काम हैं मनुष्य के
जिनके परिणाम ज्यादातर
निराशाजनक होने हैं
तैयार रहना चाहिए मनुष्य को
कर्तव्यवश, कर्तव्यारूढ़ होकर
निराश होने के लिए,
किंवा ,निराश होना
मनुष्य का एक कर्तव्य है
बहुत जरूरी काम । 0
उसका नाम है ,
वह नहीं है |
'''झूठे'''
* पता नहीं कैसे
लोगों को प्यार हो जाता है
झूठे कहीं के !
'''जहरीला'''
मेरे काटने से
सांप भले मर जाये ,
आदमी को कोई
खतरा नहीं है |
'''अपना काम'''
साधु अपना काम करता है
मैं अपना काम करता हूँ,
वह मुझे बार-बार धार से
बाहर निकालता है
मैं उसे बार-बार
डंक मारता हूँ
साधु अपना काम करता है ।
'''गृहस्थी'''
गृहस्थी
सुरसा का मुँह
जितना भी
डालते जाओ ।
'''कर्तव्य'''
निराश होना भी एक कर्तव्य है
अन्य कर्तव्यों की भाँति
बड़े सपने पालने संकल्प गढ़ने,
दृढ़ता से मार्ग निकालकर
बढ़ चलना होता है
निराश होने के लिए,
आदर्शों का पहाड़ चढ़ने का
ऊर्जा उत्साह जोड़ना होता है,
कोई उठाना होता है
समय का इन्द्रधनुष
असमय का बीड़ा
आत्मविश्वास के नाथ
सुनना होता है
काल का आह्वान
सँजोना होता है
कोई युगीन आग्रह ।
बहुत कुछ कठिन और
असाध्य करना होता है
तब कहीं जाकर
वह हाथ लगती है ,
वह पराक्रमहीन मनुष्यों के
पास नहीं फटकती,
बड़ी आशाएँ पालनी होती हैं
निराशा पाने के लिए।
बड़ी अभिमानिनी
प्रेमिका है निराशा
बड़ी ऐड़ियाँ घिसाती
बहुत नाक रगड़ाती है
घर में आने के पहले
दुल्हन बनकर,
निराशा यूँ ही हर किसी को
सुलभ नहीं हो जाती,
लेकिन ये सारे तो काम
कठिन या आसान
जरूरी काम हैं मनुष्य के
जिनके परिणाम ज्यादातर
निराशाजनक होने हैं
तैयार रहना चाहिए मनुष्य को
कर्तव्यवश, कर्तव्यारूढ़ होकर
निराश होने के लिए,
किंवा ,निराश होना
मनुष्य का एक कर्तव्य है
बहुत जरूरी काम । 0