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बेटियाँ / सुधा गुप्ता

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|रचनाकार=सुधा गुप्ता
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1
मिसरी -डली
हीरे की कनी बेटी
नाज़ों पली
2
काँधे झूलती
कूज रही चिड़िया
नन्हीं बिटिया
3
दूब -सी बेटी
नरम , नाज़ुक है
जीवट -भरी
4
नई है सदी
स्कूटी उठाके बेटी
फुर्र से उड़ी
5
आज़ाद पंछी
नई सदी की बेटी
बाधा न माने
6
आँखों में क़ैद
चाँद और सूरज
बेटी मशाल
7
नन्हीं मुनिया
आँखों में सामाई है
सारी दुनिया
8
ऊँची उड़ान
मुट्ठी में आसमान
पाखी है बेटी
9
खोज ही लूँगी
सपनों का आकाश
नया आवास
10
लो मैं तो उड़ी
पर कतरो जानूँ
हाथ न आऊँ
-0-
</poem>
'''मोटा पाठ'''