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अपनी बात / वीरेन्द्र खरे अकेला

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'''अपनी बात ''' / वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
स्व. दुष्यन्त कुमार जी के ग़ज़ल संग्रह ‘साये में धूप’ से प्रभावित होकर मैंने 1991 से ग़ज़लें कहना शुरू किया और आज तक कह रहा हूँ । इस संग्रह में 1991 से 1997 तक मेरे द्वारा कही गई ग़ज़लों में से वे ग़ज़लें हैं जो मुझे कुछ ठीक-ठाक लगती हैं और लगता है कि इन्हें दूसरों को भी पढ़वाया जा सकता है ।
'''प्रभु प्रताप कछु दुर्लभ नाहीं'''
'''-वीरेन्द्र खरे‘अकेला’''' 21 जनवरी 1998 कमला कॉलोनी, नया पन्ना नाका, छतरपुर (म.प्र.)<poem>
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