भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सदस्य:Nlshraman

No change in size, 15:26, 28 सितम्बर 2011
/* बुड्ढा होगा तेरा बाप */
हम खास ही हैं टूट जायेगी साँस पर आस न छूटेगी॥
 
पहले आप पहले आप, बुड्ढा होगा तेरा बाप……
घर बैठ निराश हताश अगर,अपना जीवन खो देगा।
तैरती है लाश सतह पर जो जिन्दा है वह डूबेगा।।
पहले आप पहले आप, बुड्ढा होगा तेरा बाप……
जीवन में रुची बढ़ेगी जब स्मृति गुरू पट खोलेगा।
मिल जाये मुर्दा एक बार वह भी उठकर बोलेगा ॥
4
edits