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<poem>
आओ नाचें और पल्लु गाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।
वे दिन अब दूर हुए जब ब्राह्मण था मालिक कहलाताजब गोरी चमड़ी वाला कोई बनता था हमारा आका
जब झुकना पड़ता था हमको उन नीचों के आगे
आओ नाचें और पल्लु गाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।
आज़ादी ली है हमने, बात हमारे हक़ की
अब हम सभी बराबर हैं, यह बात हो गई पक्की
विजयघोष का शंख बजाकर हम दुनिया चलो, विश्व को बतलाएँजो आज़ादी ले ली है हमने,उसकी इसकी ख़ुशी मनाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।
उसकी जय-जयकार करेंगे, हम उस पर सब कुछ वारें
जो हराम की खाता है, उसको हम धिक्कारें
नहीं झुकेंगे, नहीं सहेंगे, शोषण को मार भगाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।
अब यह धरती हमारी ही है, हम ही इसके स्वामी
इस पर काम करेंगे हम सब, हम हैं इसके हामी
अब न दास बनेंगे हम, न दबना, न सहना
जल-थल-नभ का स्वामी है जो, उसके होकर रहना
आओ नाचें और पल्लु गाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।