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सदस्य:Azad bhagat

787 bytes added, 18:01, 12 अक्टूबर 2011
यह मेरा लेख है
[[जख्म ह्रदय के कुरेद रहा]]

<poem>
आज मैं बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा

जज्बातों के कुछ बंधन है
जो देते मुझको उलझन है
उलझन में बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा

मैं भी कैसा दीवाना था
औरो में खुश रहता था
अपनों में बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा
</poem>

--[[सदस्य:Azad bhagat|Azad bhagat]] 13:01, 12 अक्टूबर 2011 (CDT)आजाद भगत
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