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<poem>जठै स्सौ कीं थांरो ई काळी रात रै खिलाफ
एक दीवो म्हारो ई काळी रात रै खिलाफ

गोड़ै घड़ राई रो पहाड़ बणावै जमानो
एक दीवो म्हारो ई काळी बात रै खिलाफ

घर चिणावतां ई बुलडोजर दडूकै गळी में
एक दीवो म्हारो ई काळी लात रै खिलाफ

मुळकै, मिलै गळै अर होळै-सी-क बाढ नांखै
एक दीवो म्हारो ई काळी बाथ रै खिलाफ

भींतां सूं भचीड़ खा-खा अचेत होगी सांसां
एक दीवो म्हारो ई काळी छात रै खिलाफ
</poem>
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