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|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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<poem>हाय आ किण री हाय लागगी
घर में दीवां सूं लाय लागगी

आसीस तो देवणी ई पड़ी
भूख पगां घरां आय लागगी

बां शौकिया छोडी ही गोळी
उड़ती चिड़ी नै जाय लागगी

बात-बात में चाली ही बात
तीर-सी मत्तै ई आय लागगी

बरतो छोड हाथ सोधै चक्कू
आंनै कठै री बाय लागगी</poem>
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