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<poem>हाल चाल कांई बतावां भायला
रोज लावां रोज खावां भायला

औ सूरज है म्हांरी अनमोल घड़ी
इणी सागै सोवां-जागां भायला

काल री काल देखसां सुण तो सरी
आज तो आ सांस बचावां भायला

निभै जित्तै तो निभाणो ई है धरम
मांय रोवां ऊपर गावां भायला

ठाह पड़ जावै तो करजै मत रीस
खुद सूं ई मूंडो लुकोवां भायला</poem>
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