भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[अभी बोल उठ्ठेगी, पत्थर कि मूरत /पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"]]
*[[मुद्दत-सी हो गई ,गम-ए-दर्द को सम्भाले/पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"]]
*[[दिखावा है मुहब्बत में का किसी की ऐतबारी क्या/पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"]]