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{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>बसंत में
लताओं
पेड़-पौधों के पास
कितने रंग हैं!
उधर उस नई नवेली के
पास भी कितने रंग हैं
उसका परिधान सुर्ख है
आभूषण सुनहरी
गौरवर्ण
काले केश
मेंहदी रंगे हाथ
और उसकी आंखों में तैरते
सपनों के रंगों का तो
कहना ही क्या।
</poem>
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लताओं
पेड़-पौधों के पास
कितने रंग हैं!
उधर उस नई नवेली के
पास भी कितने रंग हैं
उसका परिधान सुर्ख है
आभूषण सुनहरी
गौरवर्ण
काले केश
मेंहदी रंगे हाथ
और उसकी आंखों में तैरते
सपनों के रंगों का तो
कहना ही क्या।
</poem>