भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
गर्मी-ए-बज्म है इक रक्स-ए-शरर<ref>अन्गारों का नृत्य</ref> होने तक!
गम-ए-हस्ती<ref>जीवन का दुख</ref> का "असद" किससे कैसे हो जुज-मर्ग-इलाज
शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक!
</poem>
{{KKMeaning}}
2
edits