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आज तुम्हारी मंजिल मंज़िल हूँ मैं, मेरी मंजिल मंज़िल और कोई,कल को अपनी इक मंजिल मंज़िल हो, ऐसा भी हो सकता है।है ।
साहिल की चाहत हे लेकिन, तैर रहा हूँ बीचों -बीच,मंझधारों में ही साहिल हो ,ऐसा भी हो सकता है।है ।
तेरे दिल की धडकन मुझको लगे है अपनी -अपनी -सी,तेरा दिल ही मेरा दिल हो , ऐसा भी हो सकता है।है ।
जीवन भर भटका हूँ ‘बल्ली ‘बल्ली’, मंजिल मंज़िल हाथ नहीं आई,मेरे पैरों में मंजिल मंज़िल हो ऐसा भी हो सकता है।है ।
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