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|रचनाकार=अनीता अग्रवाल
|संग्रह=
}}
<poem>
प्रसिद्धी आती है
बताकर
प्रेम आता है
निःशब्द
कभी आँखें भाषा बनती है
कभी भाषा को
आँखें चकित करती है
अन्तस्तल के साथ
</poem>
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प्रसिद्धी आती है
बताकर
प्रेम आता है
निःशब्द
कभी आँखें भाषा बनती है
कभी भाषा को
आँखें चकित करती है
अन्तस्तल के साथ
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