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हवाओं के साज़ पर/ 'अना' कासमी

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|नाम :हवाओं के साज़ पर
|रचनाकारःअना क़ासमी
|प्रकाशन :अयन प्रकाशन, महरौली, नई दिल्ली-110030
|वर्ष: 1999
|भाषाः उर्दू
|विषयः ग़ज़लें
|शैलीः ग़ज़ल
|पृष्ठ संख्याः 88
|ISBN 81-7408
|विविधः 80.00 रूपये
}}
*[[ कवर टिप्पणी/डॉ.बशीर बद्र]]
*[[भूमिका/ डॉ.बहादुर सिंह परमार]]
[ग़ज़ल-क्रम]
*[[बाजुओ पर दिये परवाजे़ अना दी है मुझे / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कभी हां कुछ मिरे भी शेर के पैकर में रहते हैं / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[माने जो कोई बात तो इक बात बहुत है / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[वो आसमाँ मिज़ाज कहां आसमाँ से था / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[रहता है मशग़ला जहां बस वाह वाह का / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[खेंची लबों ने आह के सीने पे आया हाथ / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ये फ़ासले भी सात समुन्दर से कम नहीं / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[बहुत वीरान लगता है तेरी चिलमन का सन्नाटा / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[खामोश यूं खड़े है शजर रहगुज़र के बीच / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[शाम के साने से जब आंचल ढले / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[क़तआत / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[रूठना मुझसे मगर खुद को सज़ा मत देना / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[जब कोई उसपे जान देने लगे / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[किससे पूछूं ऐ फ़लक़ हालात का सूरज है कौन / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[जा चुका है सब तो अब क्या जाएगा / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ज़ख़्म महकेंगे तो आहों में असर भी आएगा / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कजकुलाही से न मतलब रेशमी शालों से है / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[दोज़ख सी ये दुनिया भी सुहानी है कि तुम हो / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[वाक़या है या के तेरा जिक्र अफ़सानों में है / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मसलहत खे़ज़ ये रियाकारी / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[क़तआत / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मिरी ख़ातिर ये नादानी करोगे / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[गेसू घटा हैं बर्क़ नज़र में समाई है / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[खिल उठा फूल सा बदन उसका / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कब नहीं खूने जिगर छिड़का तिरे उनवान पर / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[एक जानिब से कहां होती हैं सारी ग़लतियाँ / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कौन बातों में आता है पगले / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[किया है शायरी का शौक़ फिर क्या यार शरमाना / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मिरी तबाही का वो ही इरादा रखते हैं / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[आँखों में पढ़ रहा है मुहब्बत के बाब को / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[रमूज़े-रंग खुशबू की ज़बां को कौन समझेगा / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[गुल जो दामन में समेटे हैं शरर देख लिया / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[क़तअ़ात / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[उस शख़्स की अजीब थीं जादू बयानियाँ / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ये जुमला बहुत पहुंचे फ़क़ीरों से कहा है / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जां हो / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ये भयानक सियाह रात निकाल / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[उसकी रहमत का इक सहाब उतरे / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[तख़य्युलात की तीरा-शबी भी लेता जा / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[है कोई जो इस गुरूरे हुस्न का सौदा करे / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[अश्क़ इतने हमने पाले आँख में / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ये अपना मिलन जैसे इक शाम का मंज़र है / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कभी वो शोख़ मिरे दिल की अंजुमन तक आए/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[क़तआत/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मुझे देखा तो वो कुछ इस तरह से मुस्कुराए हैं/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[चुप से नहीं खुले हैं न ही तेरी हाँ खुले/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मरहले आयेंगे वो भी ज़िन्दगी के दरमियां/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मग़मूम शमअ़ राख पतंगे उदास रात/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[सुकूते-शब से न सूरज के सर उठाने से / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कितना दिलचस्प है हर बात पे बलखाना तिरा/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ज़रा सा जूठा किया उसने फिर पिया उसने / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[न शराफ़तों का फ़रेब दे, न इनायतों को बचा के रख/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[नाजुक समाअ़तों पे शररबार हो गये / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[करेंगे कोहे अना को भी हम उबूर चलें / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[क़तअ़ात / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[कहनी न पड़े बात मुझे अपनी ज़बाँ से / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[यूं तो अशआर में कुछ और भी ग़म होते हैं / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[इस क़दर नाराज़ क्यों हो इक ज़रा सी बात पर/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[आखि़रश आपका कहा निकला/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[यूं हुई ताबीर शर्मिन्दा खुद अपने ख़्वाब पर/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ऐसे कुछ लोग भी इस राह में अक्सर ठहरे/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[दिल दिया है तो एतबार भी कर / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ख़बर है दोनों को दोनों से दिल लगाऊँ मैं/ ‘अना’]]
*[[क़ासमी नज़रें मिला के आप ज़रा फिर वही कहें / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[लहजे में कुछ खुमार सा बाक़ी था रात का/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[मैं भी कह दूं जो मिरी बात न टाली जाए/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[यूं इस दिल-नादां से रिश्तों का भरम टूटा/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[खुद की पहचान भी गंवा बैठे/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[बुझ गया जब दिल तो फिर क्या चश्मे-तर का सोचना/ ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ज़िन्दगी में सराब रहने दे / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[ज़िन्दगी में जो लिया जो भी दिया लिक्खा गया / ‘अना’ क़ासमी]]
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