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|रचनाकार=पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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<poem>
अच्छा हमको पाठ पढ़ाया, सोला दूनी आठ
किस पुस्तक में लिक्खा राजा, सोला दूनी आठ

यह तो हैं बरसाती मेढक ,टर-टर खूब मचाएं
इनको भी तो समझ न आया, सोला दूनी आठ

जब तक तेर अच्छे दिन हैं ,खूब उड़ा ले मौज
इक दिन मंहगा तुझे पड़ेगा, सोला दूनी आठ

कालेज में यह पढ़ते बच्चे, पूंछे हैं ये राज़
किस टीचर ने सबक सिखाया,सोला दूनी आठ

तू पागल है आधा "आज़र" बात छुपी है किससे
भारत का भी ये ही आंकड़ा सोला दूनी आठ
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