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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रामनरेश त्रिपाठी}}<poem>मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है । सुख स्वर्ग-सा जहाँ है #REDIRECT[[वह देश कौन-सा है ।। जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है । जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है ।। नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं । सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है ।। जिसके बड़े रसीले फल कंद नाज मेवे । सब अंग में सजे हैं वह देश कौन-सा है ।। जिसमें सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे । दिन रात हँस रहे है वह देश कौन-सा है ।। मैदान गिरि वनों में हरियालियाँ लहकती । आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है ।। जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है । संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है ।। </poem>रामनरेश त्रिपाठी]]
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