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सज्जन / रामनरेश त्रिपाठी
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06:15, 12 दिसम्बर 2011
:निरत पुण्यचरित्र अनेक हैं।
परहितोद्यत स्वार्थ बिना कहीं,
:
विरल मानव है इस लोक में॥
:::(२)
सहज तत्परता शुभ-कर्म में
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