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एक दीगर मार / रमेश रंजक

No change in size, 06:21, 13 दिसम्बर 2011
कुछ न पूछो
किस तरह से दह रहा हूँ
सह रहा हूँ
चन्द बुलडोजर
सड़क की पीठ पर तैनात,
हाँफती-सी, काँपती-सी,
आदमी की जात
उफ़ !
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