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जब मैं तुम्हें / रघुवीर सहाय

1 byte added, 15:10, 17 दिसम्बर 2011
सारे संसार की मेरी वह चेतना
निश्चय ही तुम में लीन हो जाती होगी।होगी ।
तुम उस का क्या करती हो मेरी लाडली--
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