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एक दिन / नीलाभ

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|संग्रह=चीज़ें उपस्थित हैं / नीलाभ
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एक दिन
 
हाँ, एक दिन
 
वे खड़े होकर पूछेंगे :
 
कौन-सा रास्ता
 
इस नरक के बाहर जाता है
 
एक दिन
 
वे अपनी मज़बूत टांगों पर
 
खड़े होकर कहेंगे :
 
हम जा रहे हैं
 
एक दिन
 
वे तुम्हारा तख़्त
 
उठा कर पलट देंगे
 
और तुम उन्हें रोक नहीं सकोगे
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(रचनाकाल : 1977)
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